A Farmer’s daughter from village in Haryana has won a national shooting title.
A Farmer’s daughter from village in Haryana has won a national shooting title. Her tough journey is worth following….Read our exclusive Hindi blog…
शूटिंग में नेशनल्स टाइटल के बाद ,किसान के बेटे की, नजर एशियाई पोडियम फिनिश पर
लगभग दो साल, महामारी की वजह से आयोजित न होने के बाद, आखिरकार नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप का आयोजन हो पाया है। जनवरी 2020 के आखिरी नेशनल्स के बाद से शूटिंग में बहुत कुछ बदल गया है। भारतीय शूटर को जुलाई 2020 में टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार किया लेकिन खेलों के स्थगित होने से उनकी लय बुरी तरह से खराब हो गई। उसके बाद जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप और आईएसएसएफ प्रेसिडेंट्स कप से वापसी के कुछ संकेत मिलने लगे हैं। 64वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप नई दिल्ली (पिस्टल), भोपाल (राइफल) और पटियाला (शॉटगन) में शुरू हुई। जिस एक नई प्रतिभा ने भविष्य के लिए उम्मीद जगाई वह हरियाणा के सरबजोत सिंह हैं- 10 मीटर एयर पिस्टल सीनियर नेशनल टाइटल जीता 242.3 के आख़िरी स्कोर के साथ। कांटे के मुकाबले में शिव नरवाल (241.7) और दिल्ली के हर्ष गुप्ता को मात दी। डॉ. करणी सिंह शूटिंग रेंज में अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली करियर में वे पहली बार नेशनल चैंपियन बने हैं। ये एक उम्मीद से भरी कोशिश का एक ख़ास पड़ाव है।
सरबजोत सातवीं में पढ़ते थे जब स्कूल (2014 में भागीरथ पब्लिक स्कूल, कूलपुर) में एक समर कैंप लगा। यहीं पर शूटिंग से पहला परिचय हुआ। वे तो फुटबॉल खेलते थे और नेशनल स्तर के टूर्नामेंट में अपने स्कूल की टीम की तरफ से खेले भी। उनके पिता कभी भी शूटिंग के प्रशंसक नहीं थे और उन्हें मनाना एक बड़ी चुनौती रहा। एक बार मान गए तो अब तक पूरा साथ दे रहे हैं। बेटे ने भी पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं किया- जैसे कि जब 9 और 10 वीं क्लास में थे तो शूटिंग से 2 साल का ब्रेक ले लिया था लेकिन बाद में इसे एक पेशेवर के तौर पर आगे बढ़ाने का फैसला किया। 2019 में वर्ल्ड कप के लिए मौका इसमें सबसे ख़ास था- भारत के सबसे बेहतर शूटर में से एक बनने की चाह पूरी करने वाला। सरबजोत शुरू में हंगरी के एक शूटर से प्रभावित होकर शूटिंग में शामिल तकनीकों को समझने के लिए यूट्यूब पर उनके वीडियो देखते थे। ख़ास उपलब्धियां : * पहला मेडल ब्रॉन्ज़- केरल में 2017 नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में
* गोल्ड- 2019 ISSF जूनियर वर्ल्ड कप, सुहल
* गोल्ड- 2019 एशियन एयरगन चैंपियनशिप, चीन
* ब्रॉन्ज- खेलो इंडिया यूथ गेम्स * ब्रॉन्ज- 62वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप इस तरह अंबाला के पास के एक गांव के किसान के 17 वर्षीय बेटे ने जूनियर वर्ल्ड कप में 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड जीता। जर्मनी के सुहल में,अपने 18वें जन्मदिन से कुछ ही महीने पहले, सरबजोत सिंह के गोल्ड जीतने की खबर जैसे ही पहुंची, तो जतिंदर सिंह सहंसरवाल ने पूरे गाँव को मिठाई खिलाई थी। ये मेहनत का नतीजा था। हर रोज़ मोटरसाइकिल और बस से 40 किमी का सफर गाँव से अंबाला जाने का ताकि टेरेस शूटिंग एकेडमी में ट्रेनिंग लें- यहां शूटर बनने के लिए पसीना बहाया।
सरबजोत के चैंपियन बनने के लिए लंबे समय तक ये ट्रेनिंग काफी नहीं थी। और भी दिक्कतें आईं- ट्रेनिंग शुरू करने के दो महीने बाद नई पिस्तौल की जरूरत जिसकी कीमत 1.5 लाख रुपये थी। पिता ने गाँव के कमीशन एजेंट से पैसे उधार लिए अपने पूरे 4 एकड़ खेत को गिरवी रखकर। आज वे उस मुश्किल वक्त को भुला चुके हैं।
ट्रेनिंग के दौरान, शुरू में एक घंटे से ज्यादा खड़े रहने पर थक जाते थे- इसलिए स्टेमिना बढ़ाया और खाली समय में अपने घर पर खेती की मशीनरी के साथ ही कसरत शुरू कर दी।
दो साल बाद, ये एकेडमी बंद हो गई तो टेरेस शूटिंग एकेडमी से जुड़ गए जो भारत के पूर्व पिस्टल शूटर अभिषेक राणा चलाते हैं। कोच याद करते हैं कि मुश्किलों के बावजूद कभी भी ट्रेनिंग से एक दिन भी दिन गैरमौजूद नहीं रहे।
सरबजोत कहते हैं- ‘2017 से सब-जूनियर और जूनियर नेशनल में मेडल जीत रहा हूं। अब इरादा अगले साल एशियाई खेलों में हिस्सा लेने और पोडियम फिनिश हासिल करने पर है।’ एक इरादा और भी है- जीरकपुर में रहने वाले अपने आयडल अभिनव बिंद्रा से मिलना। वे कहते हैं- ‘ मैं उनसे जानना चाहता हूं कि कैसे वह कॉमनवेल्थ, एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसे आयोजनों से पहले अपने आप को शांत रख पाए और तैयारी की?’ सरबजोत इस समय डीएवी कॉलेज, सेक्टर 10, चंडीगढ़ में पढ़ते हैं। – चरनपाल सिंह सोबती
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