
भारत से 67 वां ग्रैंड मास्टर बनने के लिए 14 साल के लियोन मेंडोंका ने लॉकडाउन में 7 देश में 16 टूर्नामेंट खेले माना ये जाता है कि लॉकडाउन के दौरान खेल तो बिल्कुल ही रुक गए थे। हैरानी की बात है कि इसके बावजूद बहुत कुछ ऐसा होता रहा जिसके बारे में सोचा भी नहीं था। अब गोवा के 14 साल के लियोन मेंडोंका की कहानी ही लीजिए – वे तो इसी लॉकडाउन के दौरान शतरंज में ग्रैंड मास्टर बने – अक्टूबर 2020 में रिगो चैस ग्रैंड मास्टर राउंड रॉबिन में पहला ग्रैंड मास्टर नॉर्म, दूसरा नवंबर में बुडापेस्ट में और आखिरी इटली में वेर्गनी कप में। मेंडोंका भारत के 67 वें शतरंज ग्रैंड मास्टर हैं -14 साल, 9 महीने और 17 दिन की उम्र में टाइटल। इसे हासिल करने वाले गोवा से दूसरे। मार्च – दिसंबर 2020 के 9 महीने में मेंडोंका ने 16 टूर्नामेंट खेले और अपनी 2452 ईएलओ रेटिंग को 2544 तक सुधार दिया। चेन्नई के जी आकाश जुलाई 2020 में 66 वें ग्रैंडमास्टर बने थे। मेंडोंका ने 2019 के आखिरी दिनों में चेन्नई में माइक्रोसेंस द्वारा आयोजित एक कैंप में हिस्सा लिया था, जहाँ पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक और बोरिस गेलफैंड ने कई भारतीय खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी।इसके बाद वे निकल पड़े यूरोप टूर पर।मेंडोंका का किस्सा बड़ा मजेदार और अजीब है। जब पिछले साल कोविड की वजह से हालात बिगड़ रहे थे तो वे बुडापेस्ट में थे एक टूर्नामेंट के लिए।अपनी तरफ से 18 मार्च की सुबह बुडापेस्ट हवाई अड्डे पर थे दोहा होते हुए दिल्ली जाने के लिए। वहां एयर लाइन ने बताया कि भारत बॉर्डर बंद कर रहा है और जो फ्लाइट वे ले रहे हैं उनसे दिल्ली नहीं पहुँच पाएंगे। बस यूं फँस गए बुडापेस्ट में। दो महीने बुडापेस्ट में एक अपार्टमेंट में फंसे रहे। अच्छा ये हुआ कि पिता लिंडन साथ थे। वे रहने और अन्य इंतज़ाम के लिए भाग – दौड़ करते रहे और मेंडोंका को अपना पूरा ध्यान शतरंज पर लगाने का मौका मिला। इंडक्शन स्टोव, राइस कुकर, प्रेशर कुकर और कई तरह के बर्तन उनके साथी बन गए। पैसा कम होने के कारण सस्ते अपार्टमेंट,खाने का अपना इंतज़ाम – ये सब आसान नहीं था। पिता लिंडन मर्चेंट नेवी में हैं और वे बिना सेलरी लंबी छुट्टी पर चलते रहे। इस सब चक्कर में जो छूटा उसमें लियोन की वायलिन भी थी। वायलिन उन्हें राहत देती है पर मजबूरी थी। जेनो और माइक्रोसेंस की स्पांसरशिप के बावजूद पैसा बर्बाद नहीं किया और खर्चे कम करते रहे। फुर्सत का फायदा उठाकर शतरंज के अलग अलग टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की कोशिश करते रहे। यूरोप में शतरंज नहीं रुकी थी। महामारी के दौरान लियोन हंगरी, सर्बिया, ग्रीस, इटली, स्लोवाकिया, जर्मनी, चेक गणराज्य और स्पेन गए — कहीं रेल से तो कहीं बस से। शतरंज ग्रैंड मास्टर बनने के लिए जरूरी तीन नॉर्म को हासिल किया। 30 दिसंबर को तीसरे नॉर्म के लिए, बेसानो डेल ग्रेप्पा में इटली के वेरगनी कप में दूसरे नंबर पर रहे। इस बीच चेन्नई में कोच विष्णु प्रसन्ना से वीडियो कॉलिंग करते रहे। 7 देश में 16 टूर्नामेंट और कोविड के ढेरों टेस्ट और साथ में घर से लगातार दूर होने के कारण ‘होम सिकनेस’।वंदे भारत मिशन की फ्लाइट शुरू हुईं तो हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट का लिस्ट में नाम नहीं था। कुछ भी तय नहीं था और हालात के हिसाब से रोज़ नया प्रोग्राम बनता रहा। शतरंज खेलना और साथ में कोविड के नेगेटिव टेस्ट का दबाव भी। ये सब आसान नहीं था सिर्फ 14 साल की उम्र वाले के लिए। मेंडोंका अब लौट आए हैं- अपनी बड़ी बहन बेवर्ली से मिलकर सबसे ज्यादा खुश क्योंकि उन्हीं के साथ पहली बार शतरंज खेलना शुरू किया। माँ अनीता गोवा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर हैं। मेंडोंका को लगता है 2020 का साल किसी चमत्कार से कम नहीं था ।मेंडोंका को ग्रैंड मास्टर बनने की खुशी है और उन लोगों का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हर मुकाम पर मदद की। -चरनपाल सिंह सोबती
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