
कौन हैं ये मानसी जोशी जिनकी फोटो टाइम पत्रिका के कवर पर है और जिनके नाम पर बार्बी ने डॉल बनाई ?
फोटो टाइम पत्रिका के कवर पर छपे और जिनके नाम पर बार्बी ने डॉल बनाई – निश्चित तौर पर उसे तो सब जानते होंगे।सच्चाई ये है कि जिन मानसी जोशी के नाम ये दोनों ख़ास बातें हैं, उन्हें जानने वाले बहुत कम हैं। वजह यही कि वे विकलांग हैं और उनकी उपलब्धियों पर ध्यान नहीं दिया जाता। मानसी जोशी का परिचय दो तरह का है। पहला – इनकी फोटो हाल ही में टाइम पत्रिका के नेक्स्ट जनरेशन लीडर्स इश्यू के कवर पर छपी। मानसी ने कहा – “यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। बहुत कम भारतीयों को इस तरह का मौका मिलता है। ” अमेरिकी टॉय कंपनी मैटल इंक ने उन्हें समर्पित बार्बी डॉल बनाई ।ऐसा सम्मान पाने वाली एकमात्र अन्य भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर हैं – “एक बच्चे के तौर पर मैं गुड़िया के साथ खेलती थी और कभी नहीं सोचा था कि मुझ पर एक गुड़िया बनाई जाएगी।”
दूसरा – मानसी पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल में 3 पदक जीत चुकी हैं (2015 में मिक्स्ड डबल्स में सिल्वर ,2017 में ब्रॉन्ज़ और 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड)।
ऐसे एथलीट हैं जो सभी मुश्किलों के बावजूद कामयाब हुए। मानसी तो वह स्टार हैं जो हर उम्मीद खत्म होने के बाद चमके। किसी भी अन्य युवा की तरह, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री और एक आईटी कंपनी में नौकरी का सपना देखा लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था।2011 में एक मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में ऐसी चोट आई कि अपना बायाँ पैर कटाना पड़ा।लगा था कि सब ख़त्म। हार न मानने वाली मानसी ने तब अपनी जिंदगी को ही मोड़ दिया एक नई तरफ। कुछ खोया तो कुछ नया हासिल करने की कोशिश। जिसके लिए रोजमर्रा के काम मुश्किल हो रहे हों, उसने रिहेबिलिटेशन के दौरान बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। 2019 में, मानसी SL 3 श्रेणी में विश्व पैरा-बैडमिंटन चैंपियन थीं – बासेल, स्विट्जरलैंड में बीडब्ल्यूएफ पैरा-बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड के लिए पारुल परमार को हराया ( 21-12, 21-7)।
इस समय एक बैंक में नौकरी कर रही मानसी को उम्मीद है कि टाइम पत्रिका का कवर लोगों की धारणाओं को बदलेगा – जो लोग भारत में पैरा स्पोर्ट्स या विकलांगता को एक कलंक की तरह देखते हैं , वे नया सोचने पर मजबूर होंगे।खेल की समझ बनाने में उनकी इंजीनियरिंग की डिग्री काम आई – ” प्रोस्थेटिक्स के मैकेनिक्स, ग्राउंड रिएक्शन फ़ोर्स और प्रोस्थेटिक के बारे में सब कुछ, इंजीनियरिंग से समझना आसान हो गया। “
अब वे टोक्यो पैरालिंपिक 2021 की तैयारी कर रही हैं।इस इरादे को पूरा करने के लिए पी गोपीचंद की हैदराबाद में एकेडमी में वे ट्रेनिंग ले रही हैं। यहाँ उन्हें प्रोस्थेटिक इम्प्लांट्स का एक नया सेट भी मिला, जो कि उनके लिए ख़ास तौर पर हैदराबाद में बनाया गया।अब वे सिंगल्स की बजाए मिक्स्ड डबल्स में हिस्सा लेंगी क्योंकि टोक्यो पैरालिम्पिक्स में महिला वर्ग में कोई सिंगल्स SL 3 इवेंट नहीं है।उनके पार्टनर हैं हरियाणा के राकेश पांडे, जिनके साथ उन्होंने इंग्लैंड में मिक्स्ड डबल्स पैरा-बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर जीता था। इस समय पहला लक्ष्य है विश्व रैंकिंग में 13 से उठकर टॉप 6 में आना। इसके लिए उनके पास 6 टूर्नामेंट हैं।ये आसान नहीं पर वे चुनौती के लिए तैयार हैं।
मानसी ने सरकार से भी दो मदद मांगी हैं जिनसे सभी को फायदा होगा। पहली – प्रोस्थेसिस पर जीएसटी में छूट और सब्सिडी, क्योंकि न सिर्फ लगभग 25 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, हर पांच साल में बदलना भी पड़ता है। इसके अतिरिक्त चलने और खेल के लिए अलग अलग ब्लेड की जरूरत।दूसरी – प्रोस्थेसिस की इंश्योरेंस ताकि नुक्सान होने पर मदद मिल सके।अन्य कई देश में ये मदद मिल रही हैं।