
विराट कोहली की लगातार बायो बबल चेतावनी ऑस्ट्रेलिया टूर की नई चुनौती है एक सवाल का जवाब इस चर्चा को शुरू करेगा। आईपीएल 2020 में 6 नवंबर के रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर – सनराइजर्स हैदराबाद और 8 नवंबर के सनराइजर्स हैदराबाद – दिल्ली केपिटल्स मैचों की एक ऐसी क्या ख़ास बात थी जो 10 नवंबर के फाइनल में भी देखने को मिलेगी ? इन दोनों प्लेऑफ मैच में दोनों टीम के वे भारतीय खिलाड़ी जिनका नाम ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए टीम में है – मैच खेलने स्टेडियम आए तो अपना सामान साथ में बांधकर स्टेडियम लाए।आईपीएल 2020 से बाहर तो अपने आईपीएल टीम वाले होटल वापस नहीं गए।आईपीएल 2020 से बाहर होते ही उनके लिए एक बायो बबल अगर खत्म तो कोई राहत नहीं क्योंकि वहीं से नया बायो बबल शुरू हो गया – भारत की टीम के ऑस्ट्रेलिया टूर का।फाइनल के बाद सभी इकट्ठे ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइट लेंगे। और साफ़ शब्दों में 8 नवंबर के सनराइजर्स हैदराबाद – दिल्ली केपिटल्स मैच की मिसाल लेते हैं।जैसे ही हार के साथ सनराइजर्स हैदराबाद का सफर ख़त्म हुआ तो ऑस्ट्रेलिया टूर पर जाने वाले उनके क्रिकेटर मनीष पांडे और रिधिमन सहा स्टेडियम से ही एक बायो बबल से निकलकर दूसरे बायो बबल में शामिल हो गए। कोई मौका नहीं फ्रैंचाइज़ी को उन्हें औपचारिक विदाई देने का या बाकी के खिलाड़ियों से होटल में पार्टी के साथ अलग होने का।यही बात ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों पर भी लागू थी। 2 महीने से ज्यादा का आईपीएल 2020 का बायो बबल और अब ऑस्ट्रेलिया के लंबे टूर का बायो बबल।क्या इस तरह लगातार बायो बबल में रहने का मनोविज्ञान खिलाड़ियों की क्रिकेट पर असर नहीं डालेगा ? डेविड वार्नर और जोस बटलर जैसे क्रिकेटरों ने खुले आम इस बायो बबल के मनोवैज्ञानिक दबाव का जिक्र किया।वार्नर ने तो इसीलिए बिग बैश में खेलने से भी आनाकानी की। यूएई पहुंचकर कई भारतीय खिलाड़ियों ने कहा कि क्वारंटीन के दौरान एक कमरे में बिताए 6 दिन लॉक डाउन के 4 महीने से भी ज्यादा मुश्किल थे। ये ठीक है कि इस बायो बबल की बदौलत न सिर्फ आईपीएल 2020 हो पाई , लंबे टूर भी हो पा रहे रहे हैं पर लगातार बायो बबल के दायरे में बंधा रहना भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता।आईपीएल 2020 के दौरान टीम मालिकों और सपोर्ट स्टाफ ने खिलाड़ियों को ये दबाव भुलाने में मदद दी तरह तरह की एक्टिविटी के साथ पर ऑस्ट्रेलिया टूर में ऐसी मौज मस्ती भी नहीं होगी। इंडोर गेम ज़ोन,प्राइवेट पूल, प्राइवेट समुद्र तटों पर टीम डिनर और ऐसे ही पीछे छूटे परिवार वालों से वीडियो कॉल पर कोहली को लगता है कि ये चीजें दबाव को कुछ हद तक ही कम कर सकती हैं, पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकतीं । इसीलिए अभी जबकि यूएई से सिडनी की फ्लाइट भी नहीं ली थी तो भारत के कप्तान विराट कोहली ने खिलाड़ियों पर बायो बबल के मनोवैज्ञानिक दबाव का जिक्र कर दिया। उन्होंने जिस खास बात को उठाया वह है लगातार यानि कि कई महीने बायो बबल में रहना जैसा कि अब हो रहा है।कोहली का मानना है कि खिलाड़ियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए टूर की लंबाई और लगातार खेलने के बारे में सोचने की जरूरत है।कौन सोचेगा ? – चरनपाल सिंह सोबती
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