स्टेडियम में खिलाड़ियों के नाम की प्रेरणा कई नए खिलाड़ी सामने लाती है !
हाल के दिनों में भारत में जितने भी स्टेडियम में किसी स्टैंड या गेट के नामकरण की जो ख़बरें आईं, उनमें से ज्यादातर में क्रिकेट या क्रिकेटरों का ही जिक्र था। ऐसे में ये खबर खेल प्रेमियों , ख़ास तौर पर फुटबॉल प्रेमियों को बड़ी अच्छी लगेगी कि सिक्किम में एक फ्लडलिट,15000 दर्शकों की क्षमता वाले फुटबॉल स्टेडियम को भाइचंग भुतिया (100 इंटरनेशनल खेलने वाले देश के पहले फुटबॉल खिलाड़ी) का नाम देने का फैसला लिया गया है। कोविड का माहौल कुछ बेहतर हो तो औपचारिक फंक्शन भी किया जाएगा।
निश्चित तौर पर देश के एक बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी का सम्मान है ये – स्टेडियम नामची में है , भुटिया के जन्म की जगह तिनकितम से 25 किमी दूर। ये देश में पहला स्टेडियम है जिसे किसी फुटबॉल खिलाड़ी का नाम मिला है। ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि जब इस स्टेडियम में युवा खिलाड़ी खेलेंगे तो भूटिया का नाम उनके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनेगा। इस स्टेडियम को बनाने का काम 2010 में शुरू हुआ था और पैसे की कई दिक्क्तों का बाद अब फ्लड लाइट्स लगने के मुकाम तक आ पहुंचे हैं।
हालाँकि स्टेडियम का जिक्र आते ही खेल और खिलाड़ियों की याद आती है पर ये किसी से छिपा नहीं कि भारत में ज्यादातर स्टेडियम का नाम राजनीति की मशहूर हस्तियों के नाम पर है। हाल के सालों में खिलाड़ियों को इस संदर्भ में पहले से कहीं ज्यादा सम्मान मिला। इन दिनों ही दो नाम खास चर्चा में हैं। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने वानखेड़े स्टेडियम में एक स्टैंड को मुंबई और भारत के क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर का नाम देने का फैसला लिया है। बहुत संभव है कि जब आप अगली बार वानखेड़े स्टेडियम में मैच देखने जाएं तो नार्थ स्टैंड पर दिलीप वेंगसरकर का नाम लिखा हो। दिल्ली में डीडीसीए , फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम में एक स्टैंड को महाराष्ट्र , दिल्ली और भारत के क्रिकेटर चेतन चौहान के नाम से जोड़ने के प्रस्ताव पर चर्चा कर रही है।
यहाँ तक कि वानखेड़े स्टेडियम में तो एक सीट को ही महेंद्र सिंह धोनी का नाम देने का सुझाव भी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के पास आया है। 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में धोनी ने कप जीतने वाला 6 लगाया था और स्टैंड में जहाँ गेंद गई थी,उस सीट से धोनी का नाम जोड़ने को कहा गया। विश्व के कई स्टेडियम में ऐसी मिसाल है और उस ख़ास सीट पर अलग रंग का पेंट कर देते हैं ताकि वह दूर से भी पहचानी जा सके।
एक बार फिर , क्रिकेट की इन चर्चाओं के बीच जो सम्मान भूटिया को मिला उसका अलग महत्व है।
– चरनपाल सिंह सोबती