
भारतीय क्रिकेट के लिए एक और अच्छी खबर – भारत के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ों में से एक दिलीप वेंगसरकर स्पोर्ट्समेंस एथलेटिक क्लब के हॉल ऑफ़ फेम में शामिल। ICC हॉल ऑफ़ फेम की शुरुआत के बाद इसे जो चर्चा मिली उसमें अन्य सभी सम्मान पीछे रह गए पर इससे किसी भी सम्मान का महत्व कम नहीं हो जाता। 3 अक्टूबर को हार्टफोर्ड (USA) में औपचारिक तौर पर दिलीप वेंगसरकर को इस हॉल ऑफ़ फेम में शामिल किया जाएगा और क्लब ने ये खबर सबसे पहले सीधे वेंगसरकर को ही दी।
1981 में हार्टफोर्ड के कुछ क्रिकेटरों ने मिलकर इस हॉल ऑफ़ फेम की शुरुआत की थी और नाम दिया ‘यूनाइटेड स्टेट्स क्रिकेट हॉल ऑफ़ फेम का ‘ । बाद में नाम बदला और कई मुश्किलों के बावजूद क्लब ने हॉल ऑफ़ फेम के सम्मान की परंपरा को जारी रखा है। अब तक विव रिचर्ड्स ,एल्विन कालीचरन , जो गार्नर ,माइकल होल्डिंग ,एंडी रॉबर्ट्स, ग्रेग चैपल तथा टोनी ग्रेग और भारत से सुनील गावस्कर ,गुंडप्पा विश्वनाथ , भगवत चंद्रशेखर एवं आबिद अली जैसे क्रिकेटरों को इस हॉल ऑफ़ फेम में शामिल किया जा चुका है।
संयोग से दिलीप वेंगसरकर को उसी अमेरिका में ये सम्मान मिल रहा है जहाँ के विवादास्पद 1989 के टूर ने उनके क्रिकेट जीवन को टॉप से नीचे की तरफ मोड़ा था। बहरहाल सच्चाई ये है कि वेंगसरकर भारत के उन बल्लेबाज़ों में से एक हैं जिन्होंने सम्मान और इनाम की चिंता किए बिना अपनी टीम ,चाहे वह मुंबई हो या भारत ,के लिए जिम्मेदारी के साथ क्रिकेट खेली। 116 टेस्ट और 129 ODI की गिनती इसी का सबूत है। इंग्लैंड से बाहर के वे अकेले क्रिकेटर हैं जिसने लॉर्ड्स में 3 टेस्ट सेंचुरी लगाईं।1992 में जब रिटायर हुए तो भारत से सिर्फ सुनील गावस्कर के नाम उनके 6868 से ज्यादा रन और 17 से ज्यादा सेंचुरी थीं। नंबर 3 पर उन्होंने 40 से ज्यादा औसत से 2763 रन बनाए और ये कोई साधारण रिकॉर्ड नहीं है उस समय के तेज गेंदबाज़ों को देखते हुए।
वेंगसरकर ने रिटायर होने के बाद किसी ग्लैमर वाली जिम्मेदारी से ज्यादा भारत के लिए नई टेलेंट ढूंढने पर मेहनत की। अपनी एकेडमी तो शुरू की ही , BCCI की TRDW (Talent Resource Development Wing) स्कीम में उन धोनी , इरफ़ान पठान , श्रीसंथ , आरपी सिंह , पीयूष चावला और सुरेश रैना जैसे क्रिकेटरों को ढूँढा जो आने वाले सालों में देश के लिए स्टार बनकर खेले। विराट कोहली को पहला इंटरनेशनल ब्रेक एक सलेक्टर के तौर पर उनके नज़रिए ने ही दिलाया था , ये बात अलग है कि बाद में उन्होंने इसकी कीमत चुकाई।इस साल अपने 64 वे जन्मदिन के मौके पर भी वेंगसरकर ने कहा था कि वे भाग्य में विश्वास रखते हैं और उन्हें इस बात की तसल्ली है कि अपनी जिम्मेदारी को सही तरह से निभा सके।
हॉल ऑफ़ फेम का ये सम्मान वेंगसरकर की पिच पर क्रिकेट और क्रिकेट के विकास में भूमिका का सम्मान है। वे इसके हक़दार हैं।
– चरनपाल सिंह सोबती