
खेल दिवस के मौके पर भारत सरकार की स्पोर्टस मिनिस्ट्री की दो घोषणा ध्यान देने वाली हैं। ये दोनों देश में खेलों के बढ़ते महत्व और खिलाड़ियों की मेहनत को सही नज़रिए से देखने का सबूत हैं। खिलाड़ी दिन रात की मेह्नत और पसीना बहाने के बाद मैडल जीतता है। तब वह अवार्ड और इनाम का हकदार बनता है। खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा अवार्ड वह है जब सरकारी तंत्र में उसके प्रदर्शन की तारीफ होती है। इसीलिए भले क्रिकेटर हों – आईपीएल का कई करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट पाने के बावजूद उनकी नज़र अर्जुन अवार्ड और खेल रत्न अवार्ड पर रहती है।
इस साल खेल दिवस के मौके पर स्पोर्टस मिनिस्ट्री की दो घोषणा : पहली – 74 अवार्ड दिए गए और ये गिनती एक रिकॉर्ड है। दूसरी – सभी अवार्ड में इनामी रकम में बढ़ोतरी। अब इन्हीं दोनों को देखते हैं।
74 अवार्ड: ये ठीक है कि इतनी बड़ी गिनती के बावजूद ,जिन्हें अवार्ड नहीं मिले वे नाराज़ हैं पर वास्तव में ये खेल के मैदान में हो रही प्रगति का सबूत है। खेल मंत्री ने कहा कि अच्छे प्रदर्शन को कैसे नज़रअंदाज़ कर दें? ये नजरिया तारीफ वाला है। खेल मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि अवार्ड के लिए पिछले 4 साल के प्रदर्शन को नज़र में रखा जाता है न कि सिर्फ पिछले 12 महीने के प्रदर्शन को। इसलिए जिनका नाम इस साल की लिस्ट में नहीं वे निराश न हों।
27 अर्जुन अवार्ड तथा 13 कोच को द्रोणाचार्य और 15 को ध्यानचंद अवार्ड मिलना खेलों के महत्व को स्वीकार करने की अगली पायदान है।
इनामी रकम में बढ़ोतरी :2008 के बाद पहली बार स्पोर्टस मिनिस्ट्री ने इनामी रकम में बढ़ोतरी के मसले की न सिर्फ चर्चा की – बढ़ोतरी का फैसला भी लिया। 2009 से चली आ रही इनामी रकम बढ़ा दी है। अब राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड विजेता को 25 लाख रूपए मिलेंगे (पहले :7.5 लाख), अर्जुन अवार्ड विजेता को 15 लाख रूपए मिलेंगे (पहले : 5 लाख ), द्रोणाचार्य (लाइफ टाइम ) अवार्ड विजेता को 15 लाख रूपए मिलेंगे (पहले : 5 लाख) और द्रोणाचार्य ( रेगुलर ) अवार्ड विजेता को 10 लाख रूपए मिलेंगे (पहले :5 लाख)। जो क्रिकेट नहीं खेलते उनके लिए ये सभी रकम कितनी आकर्षक हैं इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता।
खेल दिवस वास्तव में देश में खेलों को बढ़ावा देने वाली सोच का दिवस बना।
– चरनपाल सिंह सोबती