
नरेश कुमार के योगदान से कोई इंकार नहीं करेगा
29 अगस्त खेल दिवस के तौर पर याद किया जाता है। भारत सरकार ने इस दिन को खिलाड़ियों और खेलों से जुड़े कोच के लिए भी यादगार बना दिया है क्योंकि उस दिन सरकारी खेल अवार्ड दिए जाते हैं। इनमें से सबसे ख़ास अर्जुन अवार्ड है। इसी तरह से कोच के लिए सबसे बड़ा द्रोणाचार्य अवार्ड है। इस साल के अवार्ड के दावेदारों की लिस्ट में एक ख़ास नाम भारत के पुराने टेनिस खिलाड़ी और सालों कप्तान /कोच / मैनेजर रहे नरेश कुमार का है – द्रोणाचार्य लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए। सबसे ख़ास बात ये है कि इस अवार्ड के लिए नाम आने के बहाने , उम्र में लगभग 91 साल से भी बड़े, नरेश कुमार को याद किया गया।
उस दौर में जबकि किसी भारतीय खिलाड़ी के लिए विंबलडन में खेलने के लिए क्वालिफाई करना ही बड़ी ख़ास बात था , 22 दिसंबर 1928 को लाहौर में जन्मे ,नरेश कुमार तो :
1955 : सिंगल्स के चौथे राउंड में खेले ( उस साल सीडिंग में नंबर 1 और बाद में चैंपियन बने टेड ट्रेबर्ट से हारे)
1953 , 1955 और 1958 : डबल्स के क्वार्टर फाइनल में खेले
1957 : मिक्स्ड डबल्स के क्वार्टर फाइनल में खेले
1949 में एशियाई चैंपियनशिप से अपना करियर शुरू करने वाले नरेश कुमार 1952 से 8 साल तक भारत की डेविस कप टीम में थे। उसके बाद कप्तान /कोच /मैनेजर के तौर पर कई साल टीम से जुड़े रहे और उस दौर का भारत का रिकॉर्ड कई कामयाबी वाला है। 1952 और 1953 में आयरिश चैंपियनशिप ,1952 में वैल्श चैंपियनशिप , 1957 में एसेक्स चैंपियनशिप और 1958 में स्विट्ज़रलैंड में वेनज़ेन चैंपियनशिप में सिंगल्स टाइटल जीते। आखिरी बार 1969 में एशियाई चैंपियनशिप में खेले।
लिएंडर पेस को एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाने में उनका योगदान सभी जानते हैं। वे 1993 के ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सेमी फाइनल मुकाबले तक टीम के कप्तान थे और उसी दौर ने पेस को डेविस कप में एक ख़ास खिलाड़ी के तौर पर देखा। बाद में भी उनकी पहचान पेस के गाइड के तौर पर ही थी।
द्रोणाचार्य अवार्ड देने का सिलसिला 1985 में शुरू हुआ और हैरानी की बात ये है कि अब तक टेनिस से जुड़े किसी कोच को ये अवार्ड नहीं मिला है। इस बार संयोग से टेनिस से 3 कोच इस अवार्ड के दावेदारों में हैं। एशियाई खेलों में मैडल विजेता विष्णु वर्धन और साकेथ मिनेनी के कोच सीवी नागराज लाइफ टाइम अचीवमेंट केटेगरी में तथा मिक्स्ड डबल्स में मैडल जीतने वाली डेफलंपिक टीम के कोच चंद्र भूषण रेगुलर केटेगरी में लिस्ट में हैं।
नरेश सर के नाम से मशहूर, नरेश कुमार के लिए आल इंग्लैंड क्लब में खेलना वैसा ही था जैसा कलकत्ता साउथ स्पोर्ट्स क्लब में खेलना। भले ही कभी कोई ग्रैंड स्लैम टाइटल नहीं जीता पर अपने समय में साधारण सुविधाओं में और किसी ख़ास कोचिंग के बिना वे विश्व के टॉप खिलाड़ियों में गिने गए। इसलिए सिर्फ टेनिस में ही नहीं , अन्य दूसरे खेलों में भी नरेश कुमार का नाम इस अवार्ड के लिए लिस्ट में आने का स्वागत किया गया है।
-चरनपाल सिंह सोबती